एक क्रम होता है कविताओं में एक स्वस्थचित्तता मलबे से दूर एक गहरा सौंदर्यबोध अपने दर्द से मैंने यही सार सीखा है सदा से मालूम होने पर भी मलबे से दूरी ना बना पाई
हिंदी समय में यूनिस डी सूज़ा की रचनाएँ